स्वच्छ भारत अभियान – मोदीजी के नाम खुला पत्र
माननीय नरेंद्र मोदी जी,
आपने 2 अक्टूबर को स्वच्छ भारत अभियान का शुभारम्भ कर पुरे देश को आवाहन किया की 2019 में, बापू की 150 वी जयंती, हम एक साफ सुथरे भारत में मनाये। हालाँकि पूर्व सरकार भी निर्मल भारत अभियान 1985 से चला रही थी लेकिन इस अभियान को जनांदोलन का रूप देने की सोच के लिए आप बधाई के पात्र है।
एक साफ सुथरे और स्वस्थ भारत के लिए इस अभियान को सफल बनाना जरुरी है। इसके लिए आवश्यक है की राजनीति से ऊपर उठ सभी जनप्रतिनिधि, देश के गणमान्य लोग तथा हर नागरिक इस अभियान में अपना योगदान दे। आपके द्वारा घोषणा करते ही सबसे पहले आम आदमी पार्टी ने इसे पूर्ण समर्थन की घोषणा की और इसे सफल बनाने में जुट गयी। राजनैतिक प्रतिद्वन्दियो की सही बातो का समर्थन करने की परंपरा भारत में नहीं है। आम आदमी पार्टी का यह कदम वैकल्पिक राजनीति के प्रति उसकी गंभीरता का प्रमाण है। इसके बाद कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस, नेशनल कांफ्रेंस जैसी पार्टियो के कुछ नेताओ ने भी व्यक्तिगत स्तर पर इस अभियान को समर्थन किया। आम आदमी पार्टी के अतिरिक्त सभी व्यक्तियो के प्रयासो को आपने सराहा भी। हो सकता है आम आदमी पार्टी के इस कदम का स्वागत न करने के पीछे कुछ राजनैतिक कारण रहे हो, लेकिन इस आन्दोलन को राजनीति से दूर रखना बेहतर होगा.
एक स्वच्छ और स्वस्थ भारत के लिए बेहद आवश्यक इस अभियान को सफल बनाने में आ रही कुछ बाधाओ तथा उनके समाधान मैं इस पत्र के माध्यम से आप तक पहुँचाने का प्रयास करूँगा।
1 ) बचपन के संस्कार –
छोटे बच्चे गीली माटी के घड़े की तरह होते है। इस उम्र में उन्हें सफाई के प्रति जागरूक कर हम निश्चित एक जागरूक पीढ़ी बना सकते है। मेरी 3 साल की बेटी जब मुझे गन्दगी करते देख टोकती है तब बड़ी शर्मिंदगी होती है। बेटिया हमें भी सुधारने की ताकत रखती है। इसलिए मैं मानता हु के यदि हम बच्चो को भी जागरूक कर सके तो आधी लड़ाई जीत सकते है।
सौभाग्य से मैं अपनी बिटिया को अच्छे निजी स्कुल में पढ़ा सकता हु लेकिन ऐसी करोडो बेटिया है जिनके न घर में शौचालय है, न स्कुल में। एक ताजा रिपोर्ट के अनुसार पुरे देश में एक लाख से अधिक (राजस्थान में 5214) ऐसे सरकारी विद्यालय है जहा बालिकाओ के लिए शौचालय की सुविधा नहीं है और 87 हजार 900 स्कुलो में शौचालय केवल कागजो पर है।
2 ) जनप्रतिनिधियो की जिम्मेदारी –
चुने हुए जनप्रतिनिधियो का व्यवहार पुरे समाज को प्रभावित करता है। हमारे जनप्रतिनिधि यदि जिम्मेदारी पूर्ण व्यवहार करे तो समाज की सोच बदल सकती है। दुर्भाग्यपूर्ण बात है की अधिकतर जनप्रतिनिधि इस अभियान को केवल फोटो खिंचवाने तक ही सिमित रख रहे है।
क्या प्रभाव पड़ता होगा जब उन्हें पता चले की हमारे प्रतिनिधि ने फोटो खिंचवाने के लिए पहले कचरा डलवाया और फिर उसे ही साफ करवाया। ऐसे लोगो को कमसे काम कानूनन कचरा फ़ैलाने की जो सांकेतिक सजा है, वह दी जाती तो एक अच्छा सन्देश जाता है। जब बीजेपी के दिल्ली प्रदेशाध्यक्ष ऐसा करते पकड़े गए उसी वक्त यदि आप उनपर सांकेतिक ही सही, कारवाही करते तो आम जनता का इस अभियान में विश्वास बढ़ता।
राजस्थान के जयपुर में नवनिर्वाचित पार्षद आप की तस्वीर के सामने गन्दगी फैलाते पाये गए और उनपर कोई कारवाही न प्रशासन ने की न पार्टी ने।
इस तरह की घटनाओ से जनता खुद को ठगा महसूस करती है। मोदीजी, इस देश की जनता ने आप में विश्वास दिखाया है, आपके आवाहन को वो गंभीरता से ले रही है। इस बदलाव को थमने न दे। जनप्रतिनिधियो की जिम्मेदारी आम जनता से ज्यादा है। आपके आवाहन को जो जनप्रतिनिधि गंभीरता से न ले उनपर कारवाही करे। जनता को विश्वास दिलाये की यह केवल भाषणो में पूरा होने वाला मिशन नहीं है।
3) मुलभुत सुविधाये –
जनता को जागरूक करने के लिए आपका भाषण काफी असरदार था। इसके बाद अब तक 208 करोड़ रुपये टीवी और अन्य माध्यमो से जनचेतना के लिए खर्च किये जा चुके। इस अभियान के प्रति जनता को निरंतर जगाये रखने के लिए शायद यह आवश्यक भी है। लेकिन क्या हम भारतीय केवल जानकारी के अभाव में गन्दगी करते है या सुविधाओ के अभाव में? बड़े बड़े शहरो में भी सार्वजनिक जगहो पर क्या कूड़ादान की सुविधा है? राह चलते व्यक्ति को यदि आवश्यकता पड़े तो शौचालय की व्यवस्था है?
राजस्थान के निवाई कस्बे में किसी करीबी रिश्तेदार के यहाँ तिये की बैठक पर सपरिवार गया था। एक चाय की दूकान पर सभी ने चाय ली और प्लास्टिक के कप फेंकने लगे। मेरे एक भाई जो सांगली, महाराष्ट्र से आये थे ने सब को रोक, चायवाले से कूड़ादान की व्यवस्था करने को कहा। जब उसने गंभीरता नहीं दिखाई तो उसे समझाया और उसके साथ लगकर एक खाली डिब्बे की व्यवस्था करवाई। मोतीलाल पारीक केवल एक आम आदमी है, राजनीति से उनका कोई लेना देना नहीं। उनके इस व्यवहार को देख मुझे खुद पर शर्मिंदगी महसूस हुई की मैंने खुद यह क्यों नहीं किया और साथ ही गर्व भी हुआ की इस देश का आम आदमी वास्तव में हमसे ज्यादा गंभीर है।
मोदीजी से मेरा निवेदन है की जनता में जागी यह बदलाव की लहर थमे नहीं, हम सुनिश्चित करे की हर गली मोहल्ले में कमसे कम कूड़ादान हो, जहा जहा आवश्यक है वहा सुलभ शौचालय हो।
4) सफाई कर्मी (सफाईवाला)
जिन्हे अक्सर हम कचरेवाला कहते है वह सफाईवाला है यह आपने अपने भाषण में कहा। सुनकर बहोत अच्छा लगा। किन्तु केवल उन्हें सफाईवाला कह देने से उनके हालात नहीं बदलेंगे। हमें उनकी समस्याओ को गंभीरता से लेकर हल करना होगा। कल NDTV ने मुंबई के सफाई कर्मचारियो पर एक कार्यक्रम दिखाया। उसमे दिखाई दिया की मुंबई जैसे शहर में किस तरह बिना दस्ताने, जुते या मास्क के अपनी जान जोखिम में डाल वो लोग हमारे शहर को सालो से निरंतर साफ करते आये है। कार्यक्रम में दी जानकारी के मुताबिक इनमे से 80 प्रतिशत लोग 50 साल से कम उम्र में किसी न किसी कारण से मर जाते है। यह बहोत ही चिंता का विषय है और इसपर जल्द से जल्द कुछ किया जाना चाहिए। उनकी अकाल मृत्यु का कारण पता कर हमें उस दिशा में उचित कदम उठाने चाहिए।
अंत में इस पावन अभियान को हाथ में लेने के लिए आपका बहोत बहोत आभार। मुझे विश्वास है की आप इन सुझावो को गंभीरता से लेंगे।
जय हिन्द
डॉ राकेश पारीख
एक आम आदमी
इस विषय पर जयपुर के फर्स्ट इंडिया न्यूज़ चैनल द्वारा आयोजित बहस में भी मैंने अपने विचार रखे थे। उस बहस की वीडियो लिंक सलग्न है।
पहला भाग
दूसरा भाग
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